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लेखनी कहानी -07-Jul-2022 डायरी जुलाई 2022

भयानक साजिश 


डायरी सखि, 
तुम्हें तो पता है ही सखि कि सनातनियों को आतंकवादी , अपराधी सिद्ध करने की प्रवृति जेहादियों और लिबरल्स की बहुत पुरानी है । और इस काम को कौन कौन लोग कर रहे हैं ये भी तुम अच्छी तरह से जानती हो । मालेगांव ब्लास्ट से लेकर समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट तक ये साजिश के तार जुड़े हुए हैं । इनमें सत्ता लोलुप नेता , आकाओं के इशारे पर नाचते अधिकारी , पुलिस,  मीडिया सब शामिल हैं । इस साजिश का भंडाफोड़ तब हुआ जब 26/11 का आतंकी हमला मुंबई में हुआ था । किस तरह से कुछ आतंकी पाकिस्तान से चलकर मुंबई आ गये थे । इसमें न जाने कितने सेना, पुलिस के गद्दार अधिकारियों , कर्मचारियों और देशद्रोही तत्वों ने इन आतंकवादियों की मुंबई तक पहुंचने में मदद की होगी , उसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है । ये तो अजमल कसाब जिंदा पकड़ में आ गया इससे उस साजिश का भंडाफोड हो गया था नहीं तो दिग्विजय सिंह,  अजीत बर्नी , महेश भट्ट आदि ने इसे "भगवा आतंकवाद" सिद्ध कर ही दिया था और एक पुस्तक का विमोचन भी कर दिया था । 

तुम्हें यह भी पता होगा सखि कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अपने मस्तक पर तिलक लगा रखा था और कलाई में "कलावा" धागा बांध रखा था । इस साजिश से वे यह सिद्ध करना चाहते थे कि मुंबई पर हमला जेहादियों और पाकिस्तानियों ने नहीं अपितु भगवाधारियों ने किया था । जो लोग यह कहते हुए थकते नहीं थे कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है उन्होंने एक मिनट में ही "भगवा आतंकवाद" की थ्योरी गढ दी थी । अब ऐसे लोगों के नाम क्या गिनाऊं सखि, सब लोग जानते हैं उन्हें । और ये लोग इतने बेशर्म भी हैं कि वे अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं । 

अभी कल परसों क्या हुआ है सखि , क्या तुम्हें पता है ? नहीं ना ? पता होगा भी कैसे ? कभी इस ओर ध्यान देती ही नहीं हो ? मेकअप करने से फुरसत मिले तो ध्यान दे पाओ । मगर सारा ध्यान तो तुम्हारा उधर ही रहता है न । चलो मैं बता देता हूं तुम्हें । 

ये तो तुम्हें पता है ही कि आजकल कांवड़ यात्रा चल रही है । लोग भारत के विभिन्न भागों से चलकर हरिद्वार या दूसरे तीर्थ स्थल से गंगाजल लेकर पैदल पैदल आते हैं । उन्हें "कांवड़िये" कहते हैं । ऐसे लोग हम तुम जैसे ही होते हैं कोई अलग से नहीं होते । इन कांवड़ियों को बदनाम करने के लिए,  इन्हें आतंकी, उपद्रवी, हिंसक और सांप्रदायिक सिद्ध करने के लिए दो जेहादी आदिल और कामिल ने एक षड्यंत्र रचा । इन्होंने भगवा रंग की पगड़ी पहन कर दो मजार फावड़े से खोद डाली और उन मजारों पर चढाई गई हरी चादरों को जला दिया । ऐसा करने का मकसद यह था कि इसका इल्ज़ाम कांवड़ियों पर लगाकर सांप्रदायिक दंगा करवा दिया जाये और एक बार फिर से "भगवा आतंकवाद" के पुराने सिद्धांत को नये सिरे से परोस दिया जाये । मगर कांवड़िये और आम सनातनियों ने इस षड्यंत्र को निष्फल कर दिया । दोनों जेहादियों को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया गया जिससे सारे षड्यंत्र का भंडाफोड़ हो गया । 

इस साजिश को ध्यान में रखते हुए एक सलाह देना चाहता हूं सखि कि आजकल देश के खिलाफ बहुत सारी शक्तियां काम कर रही हैं जो देश में भी मौजूद हैं और देश के बाहर भी । इसलिए ऐसे षड्यंत्रों को पहचानना सीखो सखि और ऐसे षडयंत्रकारियों को पुलिस के हवाले करना होगा हमें । तब जाकर यह देश सुरक्षित रह पायेगा नहीं तो तुम्हें पता है ही कि इन जेहादियों का वर्ष 2047 तक का इस देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र रचा हुआ है । 

आज के लिए इतना काफी है सखि । 

श्री हरि 
27.7.22 

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11 Comments

Aniya Rahman

27-Jul-2022 10:17 PM

Nyc

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Madhumita

27-Jul-2022 07:55 PM

बहुत ही सुन्दर

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नंदिता राय

27-Jul-2022 07:37 PM

बहुत खूब

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